भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक दिनांक 2,3 अप्रैल को हरिद्धार में संपन्न हुई। इस बैठक में अभी-अभी हुई बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से देशभर के अनेक प्रांतों में लगभग 113 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई। जिसके चलते दर्जनों किसानों ने हताश एवं निराश होकर आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाए हैं। भारतीय किसान संघ की कार्यकारिणी इस आपदा को गंभीर बताते हुए प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की है। राष्ट्रीय आपदा घोषित होने से पीड़ित किसान के लिए विशेष कोष उपलब्ध हो सकता है। इस प्रस्ताव में आठ मांगें प्रस्तुत की गई हैं :-
1 . पीड़ित किसानों को तत्काल कुछ राहत राशि दी जाए।
2 . नुकसान के आकलन के बाद राहत का शेष भाग पूरा किया जाए।
3. नुकसान के आकलन एवं सहायता का संपूर्ण ब्योरा सार्वजनिक किया जाए।
4 . स्थायी राष्ट्रीय कृषि आपदा राहत कोष की स्थापना हो।
5 . क्षतिपूर्ति नियम में उचित बदलाव एवं तर्कसंगत बनाने के लिए समिति का गठन किया जाए।
6. आपदा आते ही प्रभावितों की मदत के लिए तत्काल हेल्पलाइन की व्यवस्था की जाए।
7 . किसानों के सकल कर्ज को इस वर्ष के लिए ब्याज मुक्त किया जाए।
8 . अनाज खरीदी के मापदंडों को न्यूनतम किया जाए एवं किसानों द्वारा बिक्री के लिए लाए गए अनाज को खरीदने की निश्चित व्यवस्था की जाए।
हमें हर्ष है कि हमारे प्रस्ताव के अनेक विषयों शामिल करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के किसानों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। भारतीय किसान संघ इन घोषणाओं का स्वागत एवं सरकार का अभिनंदन करता है। हमें आशा है कि भारतीय किसान संघ द्वारा पारित प्रस्ताव की शेष मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए सरकार किसानों की समस्थाओं का स्थायी समाधान ढूंढ निकालेगी।
भारतीय किसान संघ की कार्यकारिणी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में किए गए संशोधनों का स्वागत कराती है एवं लोकसभा में पारित करने के लिए धन्यवाद देती है। भूमि अधिग्रहण बिल में और संशोधन किए जाने की मांग कार्यकारिणी ने की है। हम मांग करते हैं कि भूमि अधिग्रहण बिल में किसानों के हित में निम्न बिंदु और जोड़ें जाएं।
1 . भूमि उपयोगिता बदलने पर किसान को लाभांश में शामिल किया जाए।
2 . सामाजिक प्रभाव आकलन की धारा को बिल में यथावत रखा जाए।
3 . किसान को अपनी जमीन किराये पर देने का अधिकार दिया जाए। इसके लिए नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएं।
4 . किसानों की सहमति की धारा को 70 - 80 %से घटाकर 50 -60 % के मध्य किया जा सकता है।
5 . भूमि अधिग्रहण के बाद किसान द्वारा न्यायालय में वाद लगाने के शुल्क को समाप्त किया जाए।
6 . भूमि संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भूमि संबंधित सभी मुकदमों पर लागु करने का कानून बनाया जाए।
भारतीय किसान संघ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पर्याप्त एवं स्थायी राहत न मिलने की स्थिति में हालात और बिगड़ सकते हैं। किसानों का धैर्य इन विपरीत स्थितियों में और आर्थिक मार सहन करने की स्थिति में नहीं है। इस स्थिति में देश-प्रदेशों की सरकारें आपदा पीड़ित किसानों के साथ पूरे मन से खड़ी है। ऐसा लगने के उपाय सरकारों द्वारा किए जाने चाहिए।