किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जावे
विगत 30, 31 जुलाई को भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक विजयवाड़ा (आंध्रप्रदेश) के नुटक्की में संपन्न हुई। इस बैठक में किसानों की वर्तमान माली हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय किसान संघ के महामंत्री ब्रदी नारायण चौधरी ने प्रस्ताव रखा कि देश के कृषि क्षेत्र पर संपूर्णत: से विचार करने के लिए किसानों के हित में संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए, जिसमें देश के सांसद अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर खेती के प्रत्येक पक्ष पर विचार िवमर्श करें और देश की खेती एवं किसानों की समृद्धि के लिए रोडमैप तैयार करें। आज तक किसानों के हालात सुधारने के लिए भिन्न-भिन्न दिशाओं में अनेक प्रकार के प्रयत्न किए गए। जैसी कि कहावत है कि-ज्यों-ज्यों दवा की, दर्द बढ़ता ही गया। ऐसी स्थितियां बन गई है। इस प्रस्ताव को कार्यकारिणी द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस प्रस्ताव को संसद में पारित कराने एवं सरकार पर दबाव बनाने के लिए भारतीय किसान संघ पूरे देश में जनांदोलन चलाएगा। जनांदोलन के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय किसान संघ के उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने बताया कि भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ता अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के सांसदों से मिलकर आगामी सितम्बर, में ग्रामसभाएं करते हुए अक्टूबर (सांसदों से मिलने का समय 10 से 20 अक्टूबर-2016 तक) में इस प्रस्ताव के विषयों पर चर्चा करेंगे और उनसे निवेदन करेंगे कि इस विषय पर संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए प्रयास करें। किसानों में जन-जागृति के लिए देश के 500 जिलों के गांव में ग्रामसभाएं आयोजित की जाएंगी और इन सभाओं में इस प्रस्ताव को पारित कर हर एक जिले से सैकड़ों की संख्या में किसान भाइयों-बहनों के हस्ताक्षर करवाए जाएंगे। इन 500 जिलों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापनों को आगामी शीत सत्र से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन जी को सौंपा जाएगा एवं उनसे किसानों के हित में संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए दबाव बनाया जाएगा। यदि सांसद एवं लोकसभा द्वारा इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया जाता है तो भारतीय किसान संघ न्यायालय में यह हस्ताक्षरयुक्त जनहित याचिका दायर करने से भी पीछे नहीं रहेगा। हम लोकसभा एवं केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि इस प्रस्ताव के आधार पर लोकसभा का विशेष सत्र बुलाने की पहल करें।
भा. कि. संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी ने नारियल की खेती पर गहराते संकट को लेकर प्रस्ताव पारित करते हुए मांग की गई कि नारियल तेल को खाद्य तेल में शामिल किया जाए और इसकी विशेषताओं को प्रचारित किया जाए। नारियल तेल को खाद्यन्न व तेल की अर्थनीति से जोड़ा जाए, जिससे विदेशों से तेल आयात बंद किया जा सकता है।
वर्तमान में नारियल की कीमत 60 रुपये घोषित की गई है जबकि लागत 130 रुपये प्रति किलो आती है। अत: नारियल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 130 रुपये घोषित किया जावे।
हम सरकार का विशेष ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि नारियल के पौधे 6-7 वर्ष बाद फल देना शुरू करते हैं और लंबे समय तक खेत में रहते हैं। इसलिए इस नारियल की खेती को दूसरी फसल में बदल पाना संभव नहीं होता। अत: ऊपर दिए गए उपायों को शीघ्रता से लागू करना ही एकमात्र समाधान है।
भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक में पारित प्रस्ताव :
Download:प्रस्ताव-2
Download:प्रस्ताव-3